हमारे सौरमडंल में तरह तरह की चीजे मौजूद हैं, जिनमे से एक क्षुद्रग्रह भी है। आधुनिक समय में इसकी रिसर्च पर काफी ध्यान दिया जा रहा है, क्योकि asetroid यानि क्षुद्रग्रह के द्रारा हमें सौरमडंल के जन्म से जडुी बहुत सी जानकारी मिल सकती है। इस लेख में मैंने क्षुद्रग्रह क्या हैं?, इससे जुडी कुछ रोचक तथ्य और अन्य विषय पर लिखा है।
Contents
- 1 क्षुद्रग्रह क्या हैं? (What are asteroids?)
- 2 क्षुद्रग्रह की रचना (Formation of asteroid)
- 3 क्षुद्रग्रहों का वर्गीकरण (classification of asteroids)
- 4 क्षुद्रग्रह के प्रकार (Types of asteroid)
- 5 क्षुद्रग्रह के लिए खोज और मिशन
- 6 पृथ्वी के साथ क्षुद्रग्रहों का टक्कर
- 7 क्षुद्रग्रहों के बारे में तथ्य (facts about asteroid)
- 8 स्त्रोत
क्षुद्रग्रह क्या हैं? (What are asteroids?)
क्षुद्रग्रह सूर्य के चारो और घूमते खगोलीय पिंड है, जो कि लगभग 4.6 अरब साल पहले सौर मंडल के गठन से बचे चट्टानी आकाशीय टुकड़े हैं। लेकिन इनका आकार ग्रह की तुलना में बहुत ही छोटा होता है। इस से उत्तपन गुरुत्वाकर्षण बल इसके द्र्व्यमान को एकसाथ जकड़ के तो रख सकता है लेकिन उसमे इतना बल नही होता की सारे द्र्व्यमान को केंद्र की तरफ खींचकर गोल आकार बना सके।
यही कारण है कि इन्हें ग्रह नही कह सकते, क्योकि ग्रह बनने की दूसरी शर्त यह है कि किसी भी खगोलीय पिंड का द्र्व्यमान इतना होना चाहिए की उससे उत्पन्न गुरुत्वकर्षण बल उस खगोलीय पिंड को आकार दे सके। वैसे क्षुद्रग्रह का आकार निश्चित नही होता, वो छोटे से धूल के कण से लेकर हजारो किलोमीटर बड़े हो सकते हैं। ज्यादातर यह अनियमित आकार के ही होते हैं।
क्षुद्रग्रह की रचना (Formation of asteroid)
हमारा सौरमंडल आज से तकरीबन 4.5 अरब साल पहले बनना शुरू हुआ था। एक विशाल बादल में गुरुत्वाकर्षण बल के चलते उसका द्र्व्यमान केंद्र में जमा होने लगा और वहा सूर्य की रचना हुई। वही दूसरी ओर बचा हुआ भाग जिसमें पत्थर और गैस थे, उससे ग्रहो का निर्माण हुआ, लेकिन वो ग्रह जिनको बहुत कम मात्रा में पत्थर और गैस मिले, उनका आकार छोटा ही रह गया और उसने क्षुद्रग्रह का रूप ले लिया।
साथ ही वो पत्थर भी जो किसी निर्माण का हिस्सा ना बने, वो सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से उसके चारों और घूमते रहे और आज भी घूम ही रहे है।
क्षुद्रग्रहों का वर्गीकरण (classification of asteroids)
हमारे सौरमंडल के अंदर कई जगहों पर क्षुद्रग्रह आये हुए है लेकिन मुख्य तौर पर उन्हें तीन जगहों पर बांटा गया है।
1. क्षुद्रग्रह बेल्ट (Asteroid belt)
इसके नाम से ही पता चल रहा है की यह belt (घेरा) क्षुद्रग्रह का ही बना हुआ है। जो घेरा मंगल और गुरु ग्रह के बीच आया हुआ है। इसमें 1 km से बड़े 11-19 लाख क्षुद्रग्रह आये हुए है। इन्ही Asteroid belt में सबसे बड़ा क्षुदग्रह सायरस (Ceres) आया हुआ है। 950 km व्यास होने की वजह से इसे एक बौने ग्रह का पद भी मिला है।
Note: वो खगोलीय पिंड जिनका आकार तो गोल होता है, लेकिन कक्षा दूसरे ग्रहो से अलग होती है उन्हें बौना ग्रह कहा जाता है। बौने ग्रह के विषय मे आप विस्तार से “बौना ग्रह(Dwarf Planet)” लेख मे विस्तार से पढ़ सकते हैं।
2. ट्रोजन क्षुद्रग्रह (Trojan Asteroid)
ऐसे क्षुद्रग्रह जो ग्रहो के बीच की खाली जगह पर रह कर सूर्य की परिक्रमा करते रहते है। जिस स्थान पर सूर्य और किसी ग्रह के गुरुत्वाकर्षण बल का संतुलन बना होता है उस जगह को लैग्रेंज पॉइंट (Lagrange point) कहते है। वहाँ पर यह क्षुद्रग्रह पाए जाते हैं। गुरु ग्रह का द्र्व्यमान ज्यादा होने की वजह से उसके आसपास क्षुद्रग्रह की संख्या ज्यादा है। यही वजह है कि asteroid belt गुरु ग्रह के नजदिक है।
इसी तरह के पृथ्वी, मंगल और नेप्च्यून ग्रहों के Lagrange point पर क्षुद्रग्रह आये हुए हैं।
3. निकट-पृथ्वी क्षुद्रग्रह (Near-Earth Asteroids)
यह क्षुद्रग्रह पृथ्वी की कक्षा के आसपास रहकर सूर्य की परिक्रमा करते है। जिन क्षुद्रग्रह का पथ पृथ्वी की कक्षा के अंदर होता है उन्हें अतिरास(atiras) कहा जाता है और जिनका बहार की तरफ होता है उन्हें अमोर्स (amors) कहा जाता है।
लेकिन कुछ क्षुद्रग्रह ऐसे भी होते है जो पृथ्वी की कक्षा को लांघते है, जिससे उनका पथ अंदर और बहार दोनों की तरफ होता है। जो क्षुद्रग्रह ज्यादा समय अंदर की तरफ बिताते है लेकिन कुछ समय के लिए पृथ्वी की कक्षा लाँघ कर बहार आते है उन्हें एटेन्स(atens) कहते है और जो ज्यादातर बाहर रहते है लेकिन कुछ समय के लिए ही अंदर आते है उन्हें अपुल्लोस(apollos) कहा जाता है।
यूरोपियन स्पेस एजंसी ESA के मुताबिक 20,000 से भी ज्यादा Near-Earth Asteroids मौजूद है।
क्षुद्रग्रह के प्रकार (Types of asteroid)
यह सोचना गलत है कि सारे क्षुद्रग्रह धूल और मिट्टी से ही बने होते है। इनमे धूल, गैस, पथ्थर, रेत, मिट्टी और धातु सब एकसाथ होता है। इन चीजो के प्रमाण पर से क्षुद्रग्रह के 3 प्रकार है।
- C-type asteroid: यह क्षुद्रग्रह मिट्टी, रेत और पत्थर से बने हुए होते है। इसलिए यह दिखने में भी भूरे रंग के होते है। सौरमंडल के लगभग 75 प्रतिशत क्षुद्रग्रह इसी प्रकार के है।
- S-type asteroid: इस तरह के क्षुद्रग्रह सिलिके टऔर धातु (लोहा और निकल) दोनों से मिलकर बने होते है। सौरमंडल में इसका प्रमाण 17 प्रतिशत के आसपास है और यह Asteroid belt के अंदर आये हुए है।
- M-type asteroids: इन क्षुद्रग्रह का ज्यादातर भाग लोहे और निकल से बना हुआ होता है। यह बेहत ही खास होते है। इनकी मात्रा सौरमंडल में बहुत ही कम है।
कुछ ऐसे भी क्षुद्रग्रह है जो ज्वालामुखी के तत्त्व से बने होते है। इन्हें V-type asteroid कहा जाता है, लेकिन इनकी मात्रा लगभग ना के बराबर है।
क्षुद्रग्रह के लिए खोज और मिशन
कई अंतरिक्ष संस्थाओं द्रारा क्षुद्रग्रह को समझने और उसकी जानकारी प्राप्त करने के लिये मिशन किये है। सबसे पहले साल 1991 में NASA ने Galileo mission किया था, जिसने asteroid की पहली तस्वीर ली और साथ ही क्षुद्रग्रह के आसपास घूमते उसके एक चंद्रमा (उपग्रह) को भी खोज निकाला।
साल 2001 में पृथ्वी के आसपास रहे क्षुद्रग्रह के शोध के लिए NASA की तरफ से NEAR नाम के यान को अंतरिक्ष में भेजा गया था, इसने eros क्षुद्रग्रह का एक साल तक अभ्यास किया। फिर इस यान को eros पर सफलतापूर्वक लैंड किया गया, जब की वो इसके लिए तैयार भी नहीं था।
साल 2006 में जापान की तरफ से भेजे गए Hayabusa यान ने क्षुद्रग्रह पर लैंडिंग की थी और वापस भी आया। आते वक्त वो अपने साथ कुछ हिस्सा भी लाया था, जिस पर अभी भी शोध हो रहा है।
साल 2018 में, NASA के LINEAR प्रोजेक्ट द्वारा भेजे गए OSIRIS-REx अंतरिक्ष यान ने खोजे गए अपोलो समूह के बेनू(Bennu) जो कि एक कार्बनयुक्त क्षुद्रग्रह है, पर लैंडिंग की। अंतरिक्ष यान ने क्षुद्रग्रह की परिक्रमा की और संभावित नमूना संग्रह स्थलों की तलाश में सतह का विस्तार से मानचित्रण किया। कक्षाओं के विश्लेषण से बेनू के द्रव्यमान और उसके वितरण की गणना में सहायता मिली। बेनू OSIRIS-REx मिशन का लक्ष्य था कि आगे के अध्ययन के लिए 2023 में इसके नमूने पृथ्वी पर वापस लाना।
18 जून 2019 को, नासा ने घोषणा की, कि OSIRIS-REx अंतरिक्ष यान ने बेनू की सतह से 600 मीटर (2,000 फीट) की दूरी से एक छवि को कैप्चर किया है।
अक्टूबर 2020 में, OSIRIS-REx ने बेनू की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग किया, एक रोबोटिक हाथ का उपयोग करके एक नमूना एकत्र किया और पृथ्वी पर वापस आने की यात्रा के लिए तैयार हो गया। अभी हाल ही मे 10 मई 2021 को, OSIRIS-REx ने क्षुद्रग्रह मलबे का नमूना लेते हुए बेनू क्षुद्रग्रह से सफलतापूर्वक अपना प्रस्थान पूरा कर लिया है और 2023 तक पृथ्वी पर वापस आने का लक्ष्य है।
पृथ्वी के साथ क्षुद्रग्रहों का टक्कर
आज से लगभग 4.5 अरब साल पहले जब पृथ्वी बन रही थी, तब क्षुद्रग्रह की बमबारी हुई थी जिससे सतह पर कई विशाल गढे बन गए, जो आज भी मौजूद है। लेकिन आज के समय में हमे इससे कम खतरा है क्योकि पृथ्वी के वायुमंडल के चलते 25 मीटर से छोटे क्षुद्रग्रह हवा में ही जलकर नष्ट हो जाते है। साल 2013 में रशिया के एक शहर चेल्याबिंस्क (Chelyabinsk) में एक 20 मीटर बड़ा उल्कापिंड गिरा था, इस घटना से लगभग 1,200 लोग घायल हुए थे।
Note:- जब कोई छोटा क्षुद्रग्रह या बड़ा उल्कापिंड पृथ्वी के वायुमंडल और पृथ्वी उग्र मार्ग से बच जाता है और भूमि पर सतह से टकराता है, तो इसे उल्कापिंड कहा जाता है।
क्षुद्रग्रह से बचने के लिए टेक्नोलॉजी
बेनू(Bennu) क्षुद्रग्रह भी एक संभावित खतरनाक वस्तु है जो पलेर्मो तकनीकी प्रभाव खतरा पैमाने(Palermo Technical Impact Hazard Scale) पर दूसरी उच्चतम संचयी रेटिंग के साथ संतरी रिस्क टेबल(Sentry Risk Table) में सूचीबद्ध है। बेनू के वर्ष 2175 और 2199 के बीच पृथ्वी से टकराने की संचयी संभावना 2,700 बार मे से एक बार है।
- एक संभावित खतरनाक वस्तु (potentially hazardous object – PHO) एक निकट-पृथ्वी क्षुद्रग्रह (Near-Earth Asteroids) है – या तो एक क्षुद्रग्रह या धूमकेतु – एक कक्षा के साथ जो पृथ्वी के करीब पहुंच सकती है और टकराव की स्थिति में महत्वपूर्ण क्षेत्रीय क्षति (regional damage) का कारण बनने के लिए पर्याप्त है।
- पलेर्मो टेक्निकल इम्पैक्ट हैज़र्ड स्केल (Palermo Technical Impact Hazard Scale)एक लघुगणकीय पैमाना (logarithmic scale) है जिसका उपयोग खगोलविदों द्वारा निकट-पृथ्वी वस्तु के प्रभाव के संभावित खतरे को रेट करने के लिए किया जाता है।
- संतरी रिस्क टेबल(Sentry Risk Table) 2002 से जेपीएल सेंटर फॉर एनईओ स्टडीज (JPL Center for NEO Studies – CNEOS) द्वारा संचालित एक अत्यधिक स्वचालित प्रभाव भविष्यवाणी प्रणाली है। यह अगले 100+ वर्षों में निकट-पृथ्वी वस्तुओं के पृथ्वी के साथ भविष्य के टकराव की संभावनाओं के लिए सबसे अद्यतित क्षुद्रग्रह सूची की लगातार निगरानी करता है।
क्षुद्रग्रह से बचने के लिए दो तरह की टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है। पहली है रडार सिस्टम जिसके जरिये हम पृथ्वी के आसपास रहे क्षुद्रग्रह पर नजर रख सकते है साथ ही उसके आकार और गति का पता लगा सकते है। साल 2017 में हम से 70 लाख km दूर से पार हुए क्षुद्रग्रह 3122 Florence का आकार 4.5 km था। जिसकी जानकारी रडार सिस्टम के जरिये ही हमे मिली थी। दूसरी टेक्नोलॉजी में अंतरिक्ष यान के द्रारा क्षुद्रग्रह के गुरुत्वाकर्षण बल का उपयोग करके उसकी दिशा बदली जाती है।
क्षुद्रग्रहों के बारे में तथ्य (facts about asteroid)
करोड़ो साल पहले डाइनासोर का अंत भी एक विशाल उल्कापिंड के टकराने से ही हुआ था। सौरमंडल के सारे क्षुद्रग्रह का द्रव्यमान हमारे चंद्रमा से भी कम है। धूमकेतु भी कुछ हद तक क्षुद्रग्रह के जैसे ही होते है, जब वो सूर्य के नजदीक से पार होते है तब चमकते है।
तो बस यह थी जानकारी क्षुद्रग्रह (asteroid) के बारे में। आपको इससे जुड़ी कौन सी बात सबसे अच्छी लगी वो कॉमेंट में जरूर बताना। और इस लेख को अपने मित्रों के साथ शेयर जरूर करें। धन्यवाद।
स्त्रोत
- ESA
- NASA
- JPL
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