“वोटवापसी धनवापसी” एक विचार-प्रेरक पुस्तक है जो राहुल चिमनभाई मेहता और पवन कुमार शर्मा द्वारा लिखी गई है, पुस्तक का प्रमुख उद्देश्य भारत की सामाजिक-राजनीतिक चुनौतियों के लिए समाधान के प्रस्ताव प्रदान करना है। नोशन प्रेस द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक स्थानीय दुकानों और ऑनलाइन मंचों पर उपलब्ध है। पुस्तक श्रृंखला कुल मिलाकर 392 पृष्ठों की है और यह आज के समय में लिखी गयी प्रमुख राजनीतिक पुस्तकों में से एक मानी जाती है। यह पुस्तक राइट टू रिकॉल पार्टी का आधिकारिक घोषणापत्र भी है ।
पुस्तक के लेखक राहुल चिमनभाई मेहता एक आईआईटी स्नातक हैं जिन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में पढाई और काम किया ताकि वह वहाँ के राजनीतिक व प्रशासनिक व्यवस्था का अध्यन कर सके । अप्रैल १९९९ में राहुल मेहता अपने माता-पिता की बीमारी के कारण भारत वापस आ गए, वह अपने साथ अमेरिका से वहाँ की प्रशासनिक सफलता का ज्ञान भी लेकर आये। यह किताब भारतीय समाज और राजनीति के विभिन्न पहलुओं जैसे गरीबी, भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिक तनाव, हथियार निर्माण, और मीडिया के एजेंडे पर गहराई से खोज करती है, और एक नया दृश्टिकोण भी प्रस्तुत करती है।
किताब का मुख्य उद्देश्य पाठक को उसके आसपास की राजनीतिक दुनिया की सही समझ प्रदान करना है। किताब में प्रदान की गई जानकारी कुछ पाठकों के लिए चौंका देने वाली हो सकती है परन्तु लेखन ने अपने लेखन का परिचय देते हुए ऐसी सूचनाओं को सही अंदाज़ से प्रस्तुत किया है। लेखक अपनी रचना में पूरी तरह से विश्वासयुक्त हैं और उनकी यह पुस्तक परिवर्तन की मांग को प्रेरित करने की क्षमता रखती है।
और गहराई से खोज करते हुए, यह किताब भारतीय पुलिस और न्यायालय में भ्रष्टाचार के मूल कारणों पर प्रकाश डालती है और गज़ेट में किस किस कानून को छापने से इन समस्याओ का समाधान हो सकता है इसका भी वर्णन करती है। यह तीक्ष्ण विश्लेषण पाठकों को भारत में कानून प्रणाली की जटिलताओं की गहरी समझ प्रदान करता है। यह विश्लेषण किसी ऐसे पाठकों के लिए आंख खोलने वाला हो सकता है जो भारत में कानूनी और विधान प्रणाली की प्रक्रिया की जटिलता को समझने में रुचि रखते हैं। किताब गज़ेट अधिसूचनाओं की शक्ति को भी उभारती करती है और कैसे कुछ विशिष्ट कानूनों के गज़ेट में छपने से गरीबी, भ्रष्टाचार और पुलिस और न्यायालयों में भ्रष्टाचार की समस्या जैसे प्राथमिक मुद्दों को हल किया जा सकता है यह भी समझाती है
लेखक राहुल चिमनभाई मेहता और पवन कुमार शर्मा अपनी किताब “वोटवापसी धनवापसी” में अमेरिका और ब्रिटैन जैसे देशों में तकनीकी और सामाजिक समृद्धि के पीछे के कारणों पर भी प्रकाश डालते है। उनके शोध बतलाते है जूरी प्रणाली, राइट टू रिकॉल, जनमत संग्रह का अधिकार और शास्त्र रखने का अधिकार समाज क विकास क लिए कितना महत्वपूर्ण है। यह विश्लेषण पाठकों को कानून और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाले कारको पर एक विस्तृत परिप्रेक्ष्य प्रदान कर सकता है।
रक्षा और सामरिक मामलों में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए, यह किताब भारत आधुनिक शस्त्र निर्माण में आत्मनिर्भरता कैसे प्राप्त कर सकता है, इसके बारे में विचार प्रकट करती है। लेखक ऐसे गज़ेट अधिचूनाओ की जानकारी भी देता है जिससे इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त की जा सकती है। लेखक यहां कार्गिल युद्ध और हथियारों में पाए जाने वाले किल स्विच की भी कम ज्ञात जानकारी देते है।
भारतीय न्याय प्रणाली की समीक्षा करते हुए, यह किताब एक “पूर्णतया जवाबदेह न्यायपालिका” की आवश्यकता पर एक ठोस राय व्यक्त करती है और “न्याय की देरी न्याय की हर्जी है” को जोर देती है। इस किताब को इसकी तथ्यात्मक विश्लेषणता भारतीय न्याय प्रणाली की अन्य समीक्षाओं से अलग बनाता है।
किताब भारतीय नेताओं पर मीडिया और उनके मालिकों क प्रभाव पर प्रकाशडालती है और कैसे यह प्रभाव भारत के विदेशो खासकर की चीन,रूस,ईरान इत्यादि से सम्बन्धो को प्रभावित करता है इसकी भी जानकारी देती है। लेखक हिंदू धर्म और संस्कृति को मजबूत बनाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी हिंदू बोर्ड के गठन का विचार प्रस्तुत करते हैं, जो ईसाई मिशनरियों और कट्टरपंथी इस्लामी लॉबियों के प्रभाव का विरोध करने में सक्षम हो, और साथ ही देश में बढ़ती हुई हिंदू-मुस्लिम साम्प्रदायिक तनाव का समाधान करने में भी मदद करे। ये विषय संवेदनशील और परिकल्पनाशील हैं, और यह पुस्तक विचार-विमर्श को प्रोत्साहित करने वाले गहन दर्शन भी प्रस्तुत करती है जो पाठकों को स्वयं के मत बनाने और मूल्यांकन करने की प्रेरणा दे।
निष्कर्ष
अंततः, हम कह सकते हैं कि यह किताब सभी प्रकार के राजनीतिक, रक्षा, और सामाजिक मुद्दों में दिलचस्पी लेने वाले लोगों के लिए एक अनिवार्य पाठन है। पुस्तक भी भाषा पाठक को सूचना देने के साथ साथ उसे खुद से सोचने को भी प्रेरित करती हैं।
स्त्रोत
- VoteVapsi DhanVapsi: Manifesto of Right to Recall Party (registered). (2020). (n.p.): Rahul Chimanbhai Mehta.
- Prajaa-aadheen Raajaa aka Right to Recall Group. (n.d.). Right to Recall Group.
- Pawan Kumar Sharma. (n.d.). Quora.
- Wikipedia contributors. (2023, April 11). Right to Recall Party. In Wikipedia, The Free Encyclopedia. Retrieved 06:55, April 22, 2023.
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