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माइकल फैराडे: गरीबी में पैदा हुआ बच्चा बना महान वैज्ञानिक

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Image 1: Michael Faraday, oil on canvas by Thomas Phillips, 1841–42; in the National Portrait Gallery, London. © Images Group/REX/Shutterstock.com

(ब्रिटिश वैज्ञानिक – 1791 – 1867) विज्ञान और वैज्ञानिकों ने हमारे जीवन को सरल बनाया है। वैज्ञानिक प्रयोगों से लेकर आविष्कारों तक, वैज्ञानिकों के कारण ही मानव जीवन सरल हुआ। विज्ञान की दुनिया के ऐसे ही एक महान वैज्ञानिक थे माइकल फैराडे

आइजैक न्यूटन, गांधीजी और जेम्स क्लार्क मैक्सवेल की तस्वीरों के साथ अल्बर्ट आइंस्टीन अपने अध्ययन की दीवार पर फैराडे की भी तस्वीर रखते थे। भौतिक विज्ञानी अर्नेस्ट रदरफोर्ड, फैराडे को याद करते हुए कहते थे, “जब हम उनकी खोजों की मात्रा और सीमा और विज्ञान और उद्योग की प्रगति पर उनके प्रभाव पर विचार करते हैं, तो फैराडे की याद में सम्मान का काम होता है, जो अब तक के सबसे महान वैज्ञानिक खोजकर्ताओं में से एक है।”

क्या आप जानते है की जिस उपकरण में आप इसे पढ़ रहे हैं और इसी से जो आवाज़ सुनते हैं और जो तस्वीरें देखते हैं, ये सब कैसे मुमकिन होता है? हमारे सन्देश बिना रुकावट लाइट के स्पीड से कैसे पहुंचते हैं? हमारे पास ये कमाल की ताकत कैसे आयी?  ये सब एक इंसान के दिमाग की उपज है, गरीबी में पैदा हुआ बच्चा जिससे किसी को कोई उम्मीद नहीं थी, अगर ये इंसान न होता तो आज हम जो दुनिया देख रहे है वो ऐसी नहीं होती, उनके आविष्कारों ने दुनिया को बदल कर रख दिया।

  • जन्म  – 22 September 1791 Newington Butts, England
  • मृत्यु – 25 August 1867 (aged 75) Hampton Court, Middlesex, England
  • आविष्कार – Faraday’s law of induction, Electrochemistry, Faraday effect, Faraday cage, Faraday constant, Faraday cup, Faraday’s laws of electrolysis, Faraday paradox, Faraday rotator, Faraday-efficiency effect, Faraday wave, Faraday wheel Lines of force.
  • पुरस्कार – Royal Medal (1835 and 1846) Copley Medal (1832 and 1838) Rumford Medal (1846)  Albert Medal (1866)

सार –

एक ब्रिटिश वैज्ञानिक जिन्होंने electro-magnetism और electro-chemistry के अध्ययन में योगदान दिया। उनकी मुख्य खोजों में electro-magnetic induction, diamagnetism, और electrolysis अंतर्निहित सिद्धांत शामिल हैं। उनके अविष्कारों से ही Dynamo तथा electric motor का निर्माण हुआ।  हालाँकि फैराडे ने बहुत कम औपचारिक शिक्षा प्राप्त की, लेकिन वे इतिहास के सबसे प्रभावशाली वैज्ञानिकों में से एक थे। यह एक प्रत्यक्ष प्रवाह ले जाने वाले कंडक्टर के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र पर उनके शोध द्वारा था कि फैराडे ने भौतिकी में विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र की अवधारणा के लिए आधार स्थापित किया। फैराडे ने यह भी स्थापित किया कि magnetism प्रकाश की किरणों को प्रभावित कर सकता है और दोनों घटनाओं के बीच एक अंतर्निहित संबंध था।

एक रसायनज्ञ के रूप में, फैराडे ने benzene की खोज की, chlorine के clathrate hydrate की जांच की, Bunsen burner के प्रारंभिक रूप और ऑक्सीकरण संख्याओं की प्रणाली का आविष्कार किया, और Anode, Cathode, electrode और ion जैसी लोकप्रिय शब्दावली की। फैराडे अंततः रॉयल इंस्टीट्यूशन के जीवनकाल में रसायन विज्ञान के पहले और सबसे बड़े फुलरियन प्रोफेसर बने।

हालाँकि, उनकी गणितीय क्षमताएँ त्रिकोणमिति (trigonometry) के रूप में आगे नहीं बढ़ीं और सबसे सरल बीजगणित (algebra) तक सीमित थीं। जेम्स क्लर्क मैक्सवेल ने फैराडे और अन्य लोगों के काम को लिया और इसे equations के एक सेट में संक्षेपित किया, जिसे विद्युत चुम्बकीय घटना के सभी आधुनिक सिद्धांतों के आधार के रूप में स्वीकार किया जाता है। फैराडे के Lines of Force के उपयोग पर, मैक्सवेल ने लिखा कि वे फैराडे को दिखाते हैं “वास्तव में एक बहुत उच्च क्रम के गणितज्ञ हैं – जिनमें से भविष्य के गणितज्ञ मूल्यवान तरीके प्राप्त कर सकते हैं। SI unit उनके सम्मान में capacitance का नाम रखा गया है: द फैराड।अगर माइकल फैराडे न होते तो हम आज भी उसी तरह रह रहे होते जैसे 17th century में हमारे पूर्वज रहते थे।

दो महान वैज्ञानिक Isaac Newton और अल्बर्ट आइंस्टीन  के बीच के दौर मे एक और महान वैज्ञानिक पैदा हुआ था बिल्कुल इन्ही के जैसा वो इंसान जिसने उस राज़ को सुलझा दिया था जिसमे newton उलझ गए थे।  उस व्यक्ति के बदौलत, आइंस्टीन इतना आगे जा पाए और इंसान ने इतनी तरक्की कर ली।

Newton और James Clerk Maxwell के चित्रों के साथ आइंस्टीन ने अपने अध्ययन की दीवार पर माइकल फैराडे का चित्र रखा। भौतिक विज्ञानी Ernest Rutherford ने कहा, “जब हम विज्ञान और उद्योग की प्रगति पर उनकी खोजों और उनके प्रभाव की मात्रा और सीमा पर विचार करते हैं, तो सबसे बड़े वैज्ञानिक खोजकर्ताओं में से एक, फैराडे की याद में हर सम्मान छोटा है।

माइकल फैराडे का जन्म

22 September 1751 में Newington Butts, London के एक गन्दी जुग्गी बस्ती में माइकल फैराडे का जन्म हुआ। वे पढाई में बिल्कुल अच्छे नहीं थे। फैराडे एक बहुत गरीब परिवार से थे, उनके पिता James बहुत गरीब थे और लुहार का काम करते थे, पारिवारिक स्थिति ठीक ना होने के कारण फैराडे बस सामान्य स्कूली शिक्षा ही कर पाए।

माइकल फैराडे का जीवन

13 वर्ष की उम्र से ही वे book binder का काम करने लगे, दिन में वे बुक बाँधा करते और रात में उन्हें पढ़ते, यहीं से इलेक्ट्रिसिटी को लेकर उनके जूनून की शुरुआत हुई, फैराडे ने अपना जीवन लंदन में एक book binder की नौकरी से प्रारम्भ किया, समय मिलने पर फैराडे किताबें पढ़ा करते थे। अपने सात साल के शिक्षुता(apprenticeship) के दौरान फैराडे ने कई किताबें पढ़ीं, जिनमें इसहाक वत्स की द इंप्रूवमेंट ऑफ द माइंड(Isaac Watts’s The Improvement of the Mind) शामिल थी, और उन्होंने उसमें निहित सिद्धांतों और सुझावों को अपने जीवन में उत्साहपूर्वक लागू किया। उन्होंने विज्ञान में भी रुचि विकसित की, विशेष रूप से इलेक्ट्रिसिटी में। फैराडे विशेष रूप से जेन मार्केट द्वारा रसायन विज्ञान पर पुस्तक से प्रेरित थे।

फैराडे अपने रूढ़िवादी Christian सोच को बहुत मानते थे।  इससे उन्हें हमेशा एक ताकत सुकून और विनम्रता का एहसास होता था, कई सालों तक book binder का काम करने के बाद 21 वर्ष के होने के बाद फैराडे एक बड़ी दुनिया में जाने का ख्वाब देखने लगे, और उन्हें बड़े बनने का एक मौका भी मिल गया था जब एक ग्राहक ने उन्हें एक शो का टिकट दिया। उस शो का नाम था “science for the public“.

माइकल फैराडे और Humphry Davy

science for the public show की शुरुवात London में royal institution  में हुई थी। Humphry Davy शो के होस्ट थे और उस ज़माने के एक जाने माने वैज्ञानिक थे जिन्होंने कई केमिकल एलिमेंट्स खोजे थे -जैसे की calcium और sodium। वो एक कमाल के शोमैन भी थे उनका शो लोगो को बहुत अच्छा लगता था। अपने उस शो में Davy इलेक्ट्रिसिटी का प्रदर्शन कर रहे थे जिन्हे लोगो को बहुत अच्छा लगा और लोगो ने तालिया बजाई।  मगर फैराडे ताली नहीं बजा रहे थे, वो Davy के भाषण का एक एक शब्द लिख रहे थे, book binding का काम उन्हें आता था इसलिए उसने उसे एक किताब के आकार में बांध दिया।

उन्होंने उस किताब जिसमे Davy के व्याख्यान लिखे थे Davy को देने चले गए, उन्हें ये लगा की ऐसा करने से उन्हें Davy से मिलने का मौका मिल जायेगा। और असल में यह तोहफा फैराडे की एक नयी दुनिया में पहुचने की वजह भी बना। फैराडे ने बाद में Davy को 300 पन्नों की यह पुस्तक भेजी, जो इन व्याख्यानों के दौरान उनके द्वारा लिए गए नोट्स पर आधारित थी। Davy का जवाब तत्काल, दयालु और अनुकूल था।

करियर की शुरुआत और आविष्कार –

जब एक  केमिकल एक्सपेरिमेंट में Davy के आँखों में चोट आयी तो उन्हें फैराडे की याद आयी, जिन्होंने उनके भाषण का एक एक शब्द को बारीकी से लिखा था और जोड़ा था। Davy ने फैराडे को बुलाया और अपने पास एक असिस्टेंट के नौकरी पर रख लिया, जल्द ही फैराडे ने Davy का सारा काम संभाल लिया और कुछ दिनों के लिए मिला काम पक्की नौकरी में बदल गया। और रॉयल इंस्टीटूशन उनके लिए घर की तरह हो गया।

फैराडे, lab में Davy के साथ काम किया करते और शाम होते ही वे अपने छोटे से अपार्टमेंट में आ जाते थे जहाँ उनकी पत्नी Sara के साथ वो रहा करते थे। Davy लम्बे समय से electromagnetism के एक्सपेरिमेंट पे काम कर रहे थे जो आगे चल के बहुत काम की बन गयी। जब Davy अपने एक्सपेरिमेंट को समझ नहीं पाए तो उन्होंने फैराडे को इसमें हाथ आजमाने को कहा। Davy भले मजाक में फैराडे को एक्सपेरिमेंट करने को कहते थे लेकिन फैराडे इसे एक सम्मान मानते थे।

जल्द ही फैराडे उस एक्सपेरिमेंट को और भी improve करके electromagnetism को समझा और दुनिया की सबसे पहली मोटर का आविष्कार किया, उन्होंने electric current को लगातार चलने वाले मैकेनिकल मोशन में बदल दिया था, उन्होंने magnetic field में एक चालक को घुमाकर विद्युत वाहक बल उत्पन किया और इसी सिद्धांत पर generator बना तथा आधुनिक इंजीनियर की नीव पड़ी उस समय यह बस एक मामूली मशीन लगती, लेकिन उनके इस आविष्कार ने मानव समाज को पूरी तरह से बदल दिया और क्रांति ला दी।

फैराडे के आविष्कार की खबर तेज़ी से फैल गयी, और देखते ही देखते फैराडे ने लंदन में बहुत लोकप्रियता हासिल कर ली, लेकिन ये बात Davy को अच्छी नहीं लगी आखिर उन्होंने भी तो बहुत से केमिकल खोजे थे। लोग कहने लगे थे कि  Davy की सबसे बड़ी खोज थी Michael फैराडे, लेकिन Davy ने सोच लिया था की कुछ समय के लिए ही लेकिन लोग फैराडे को याद करना बंद कर दे और इस तरह Davy ने फैराडे को British optical glass फैक्ट्री में भेज दिया, ये कहकर की फैराडे को वहाँ के Joseph Fraunhofer के ऑप्टिकल तक्नीक को जानना होगा लेकिन 4 वर्षो तक वहाँ फैराडे परेशान होते रहे लेकिन उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ बहुत कोशिश करने के बाद भी फैराडे ये पता नहीं कर पाए की सालो पहले Joseph Fraunhofer द्वारा खोजा गया तरीका क्या था, फैराडे ये नहीं जान पाए की telescope के लिए सही ऑप्टिकल गिलास बनाने के लिए साइंस के अलावा हाथ की भी कला चाहिए और Bavaria के उस्ताद इस राज़ को बहुत छिपा कर रखते थे, फैराडे कभी उनका ये राज़ नहीं जान पाए अपनी नाकामी की याद में वो गिलास का एक स्लैब साथ ले आये, सालो बाद इसी गिलास ने उनकी जिंदगी बदल के रख दी।

फैराडे जब Davy के पास लौट कर आये तब तक Davy की मृत्यु हो गयी थी, Davy के मृत्यु के बाद फैराडे को इस नाकाम प्रोजेक्ट से आज़ादी  मिली, और तब के क़ानून के अनुसार फैराडे Davy के लैब का director बन गए इस नई ताकत का फैराडे ने बहुत ही अच्छे से इस्तेमाल किया और हर साल Christmas पर लोगो को भाषण देना शुरू किया, और अपनी नई experiments को लोगों को दिखाया, वो चाहते तो अपने इन अविष्कारों से बहुत पैसे कमा सकते थे लेकिन उन्हें पैसों में कोई दिलचस्पी नहीं थी, फैराडे अपने अविष्कारों से मानवता को बदलने में लगे थे की तभी उनको एक बीमारी ने घेर लिया, जब फैराडे 49 वर्ष के थे तब उनको memory loss और डिप्रेशन ने घेर लिया इसके कारण उन्हें कुछ भी याद नहीं रहता था, उनका काम रुक गया हालाँकि वे पूरी तरह से कभी ठीक नहीं हुए फिर भी उन्हें बड़ी कामयाबियाँ इसके बाद हांँसिल हुई।

फैराडे इलेक्ट्रिकल और magnetic experiments में इतना डूब गए थे, कि उन्हें लगा कि चुम्बक के आस पास वाली जगह, एक ना दिखने वाली lines से भरी है जिसे उन्होंने magnetic fields का नाम दिया। फैराडे मानते थे की प्रकृति की ताकत एक है, उन्होंने magnetism और इलेक्ट्रिसिटी के आपसी रिश्ते को तो सामने ला दिया था, लेकिन वो सोचते थे कही तीसरी ताकत light भी तो इससे जुडी नहीं है इसे जानने के लिए उन्होंने एक एक्सपेरिमेंट design किया फैराडे जानते थे की रोशनी एक तरंग की तरह चलती है रौशनी की तरंगें सभी दिशाओं में है मगर रौशनी के तरंगो को भी अलग करने का एक तरीका है जिससे polarization कहा जाता है।

जब रौशनी किसी गिलास या शीशे से टकराती है तो वो polarized हो जाती है, फैराडे जानना चाहते थे की उस नज़र ना आने वाली magnetic fields पर लाइट का कोई असर होता है या नहीं उनके एक्सपेरिमेंट में जो eyepiece था वो रौशनी को रोकने का काम करता था रौशनी इसमें से होकर तभी निकल सकती थी जब magnet उसका रास्ता बदले, उन्होंने शीशे के सामने एक लालटेन रख दी eye piece से लर्नटेन की लाइट तभी दिख सकती थी जब उसका रिफ्लेक्शन eyepiece के जाली को पार कर पाता। फैराडे जान गए थे की हवा से गुजरती लाइट पर magnetism का कोई असर नहीं होता, वो ये सोचने लगे की किन चीजों से लाइट को गुजार कर मैगनेट से उसका रास्ता बदला जा सकता है  फिर उन्होंने बहुत से ट्रांसपेरेंट chemicals और दूसरे चीजों को आजमाया मगर उन्हें eyepiece में कुछ नज़र नहीं आया परेशान होकर उन्होंने glass के उस slab को आजमाया जिसे उन्होंने गिलास factory से लाया था और गिलास से light गुजारकर magnet से उसकी दिशा बदल गयी, यह एक मुश्किल एक्सपेरिमेंट था मगर फैराडे ने हमें हमारे आसपास मौजूद वो हकीकत दिखाई थी जिसे, इससे पहले किसी ने नहीं देखा था।

यह उतनी ही असरदार खोज थी जितनी telescope की मदद से आसमान देखना था। यह साबित करके की electromagnetic force रौशनी की तरंगों को मोड़ सकती है फैराडे ने कुदरत की एक बड़े राज़ को उजागर कर दिया, उन्होंने अपने बाद पैदा हुए आइंस्टीन और दूसरे सभी वैज्ञानिक के लिए रास्ता खोल दिया था, जो ब्रह्माण्ड की छिपी हुई ताकतों को देखना चाहते। जब फैराडे की प्रतिभा उचाईओ पर थी तभी डिप्रेशन ने उनका रास्ता रोक दिया और छोटी छोटी चीज़ भी उन्हें याद रखने में मुश्किल होने लगी। उनका बचपन गरीबी में बीता था, ये वो वक्त था जब समाज में अमीर गरीब की खाई थी, फिर भी वो अपने समय के वैज्ञानिक बन गए। 

40 साल की उम्र तक उन्होंने electric motor, transformer, और जनरेटर – मशीनो का आविष्कार कर लिया था उनके आविष्कारों ने हर चीज़ को बदला। 60 साल की उम्र में भी कम यादाश्त और depression के बावजूद वे इन नज़र ना आने वाली ताकतों की खोज में लगे रहते थे। electricity, magnetism और लाइट के बीच तालमेल को पता लगाने के बाद फैराडे ये जानना चाहते थे कि, ये तीनों एक साथ कैसे काम करती है, फैराडे जानते थे electric current किसी भी तार को चुम्बक में बदल सकता है, इसलिए उन्हें उम्मीद थी की जिस तार से electricity गुजरती है उस तार के चारो ओर लोहे की छीलन (iron shavings) डालने से वैसा ही pattern बनेगा जैसा चुम्बक के पास डालने से बनता है, माइकल फैराडे ने वो राज़ हल कर दिया था, जिसे Isaac Newton नहीं सुलझा पाए थे।

उस दौर के वैज्ञानिक फैराडे के बारे में यही सोचते थे की फैराडे सपना देख रहे है वो उनके आविष्कार करने की क्षमता और प्रयोगों की तो तारीफ करते थे लकिन उनके नज़र ना आने वाली lines of force, light और gravity के उनके विचारो को मनगढ़ंत मानते थे क्योकि अपने इन विचारों को सच साबित करने के लिए उनके पास कोई सबूत नहीं थे, कुछ वैज्ञानिक फैराडे के इन विचारों को modern physics की भाषा के equations में देखना चाहते थे और यही पर फैराडे के बचपन में शिक्षा ना कर पाने के कारण उन्हें रोक देते थे। फैराडे के सामने ऐसी मुश्किल आयी थी जिससे वो पार नहीं कर सकते थे।  

और फिर 19 वी सदी का एक महान theoretical physicist आगे आया, James Clerk Maxwell को mathematics में महारत थी। Maxwell, फैराडे की बहुत आदर करते थे, उन्होंने electricity पे लिखे फैराडे के सभी theory को देखा, उन्हें यकीन हो गया कि फैराडे के fields of forces एक हकीकत है, जिसे Maxwell ने mathematical फॉर्मूले में दुनिया के सामने रखा। Maxwell ने फैराडे के theories को equations में बदलकर फैराडे के पास भेजा जिसे देखकर फैराडे बहुत खुश हुए। आज, Maxwell के equations सभी प्रकार के विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के डिजाइन में विद्युत इंजीनियरों के आवश्यक उपकरण हैं। इस खोज से हे हम उपकरण द्वारा आवाज़ सुनते हैं और तस्वीरें देखते हैं।

बाद का जीवन –

जून 1832 में, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने फैराडे को Doctor of Civil Law की डिग्री प्रदान की। अपने जीवनकाल के दौरान, उन्हें विज्ञान के लिए उनकी सेवाओं के लिए मान्यता में एक knighthood की पेशकश की गई, जिसे उन्होंने धार्मिक आधार पर ठुकरा भी दिया, यह मानते हुए कि यह धन सांसारिक पुरस्कार का पीछा करने के लिए बाइबिल के शब्द के खिलाफ था, और यह कहते हुए कि वह सादा रहना पसंद करते हैं। वे 1824 में Royal Society के सदस्य चुने गए, उन्होंने दो बार राष्ट्रपति बनने से भी इंकार कर दिया। वह 1833 में रॉयल इंस्टीट्यूशन में केमिस्ट्री के पहले Fullerian Professor बने।

1832 में, फैराडे को American Academy of Arts and Sciences का विदेशी मानद सदस्य चुना गया। उन्हें 1838 में Royal Swedish Academy of Sciences का एक विदेशी सदस्य चुना गया, और 1844 में French Academy of Sciences में चुने गए आठ विदेशी सदस्यों में से भी एक थे। 1849 में उन्हें नीदरलैंड्स के रॉयल इंस्टीट्यूट से संबद्ध सदस्य के रूप में चुना गया, जो दो साल बाद Royal Netherlands Academy of Arts and Sciences बन गया और बाद में उन्हें विदेशी सदस्य बना दिया गया।

फैराडे को 1839 में एक nervous breakdown का सामना करना पड़ा, 1848 में Prince Consort द्वारा प्रतिनिधित्व के परिणामस्वरूप, फैराडे को सभी खर्चों और रखरखाव से मुक्त, मिडलसेक्स में हैम्पटन कोर्ट में एक अनुग्रह और अनुग्रह घर से सम्मानित किया गया। यह मास्टर मेसन हाउस था, जिसे बाद में फैराडे हाउस कहा जाने लगा, और अब नंबर 37 हैम्पटन कोर्ट रोड कहा जाता है। 1858 में फैराडे वहां रहने के लिए कहे गए। ब्रिटिश सरकार के लिए कई विभिन्न सेवा परियोजनाओं को प्रदान करने के बाद, जब सरकार ने Crimean War (1853-1856) में उपयोग के लिए रासायनिक हथियारों के उत्पादन पर सलाह देने के लिए कहा, फैराडे ने नैतिक कारणों का हवाला देते हुए भाग लेने से इंकार कर दिया।

मृत्यु –

25 अगस्त 1867 को 75 वर्ष की आयु में माइकल फैराडे की हैम्पटन कोर्ट में उनके घर पर मृत्यु हो गई। 

इतने परेशानिओं के बाद भी फैराडे जीवन भर अपने कार्य में लगे रहे, और वैज्ञानिक इतिहास में सफलता प्राप्त की उनके अविष्कारों के कारण ही उनके बाद आये वैज्ञानिकों ने विज्ञान को इतने आगे बढ़ाया।

माइकल फैराडे के शोध और शोध पत्र

  1. माइकल फैराडे की खोज: इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन PDF अंग्रेजी में।
  2. फैराडे, माइकल (1839)। विद्युत में प्रायोगिक अनुसंधान, खंड i. और ii. रिचर्ड और जॉन एडवर्ड टेलर; खंड iii. रिचर्ड टेलर और विलियम फ्रांसिस, 1855. अंग्रेजी में।
  3. Michael Faraday: Father of Electronics किताब।

स्रोत


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मिथुन सरकार अनरिवील्ड फाइल्स के संस्थापक और मुख्य संपादक हैं। मिथुन एक उद्यमी और निवेशक हैं, और उन्हें वित्तीय बाजारों, व्यवसायों, विपणन, राजनीति, भू-राजनीति, जासूसी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी की व्यापक समझ है। मिथुन खुद को एक ऐसा साधक बताते हैं जो दिन में लेखक, संपादक, निवेशक और रात में शोधकर्ता होता है। नीचे दिए गए सोशल नेटवर्क पर उन्हें फॉलो करें।

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